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Friday, November 29, 2013

दूसरे मोेहन की आवश्यकता नहीं है



अहमदाबाद में आरएसएस की बैठक में कश्मीर, दलितों और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा हूई. (संदेश, ता. 29 नवेम्बर, 2013). वृत्तांत में आगे कहा गया है कि दलित बीजेपी से विमुख है. इस स्थिति में दलितों को संघ के करीब लाने के लिये क्या करना चाहिए. संघ के साथ उन्हे जोडकर उनके मन में छूपी ग्रंथियों को दूर करने का प्रयास वर्तमानपत्रों के माध्यम से करना चाहिए. 

मोहन भागवत जैसे लोगों के लिये बाबासाहब आंबेडकर ने सही कहा था कि ऐसे लोग यह सच्चाई नहीं समजते कि उन्हे सुधरने की जरूर है. अस्पृश्यता दलितों की समस्या नहीं है. अस्पृश्यता सवर्ण हिन्दुओं की समस्या है. सवर्ण हिन्दुओं के दिमाग की समस्या है. अगर सवर्ण हिन्दु सुधरेगा नहीं तब तक अस्पृश्यता खतम होनेवाली नहीं है. सवर्णों की बस्ती में, महोल्ले में दलितों को रहने नहीं दिया जाता, तो किसके मानसिक इलाज की जरूर है? गांव में दलितों पर अत्याचार होता है, तो किसे सजा की जरूर है? 

मोहन भागवत दलितों का माबाप बनने की कोशिश न करें तो अच्छा है. दलित एक मोहन गांधी से उब चूके हैं, हमें दूसरे मोहन की कोई आवश्यकता नहीं है.

Monday, November 18, 2013

शौचालय या देवालय



आप अभी भी पहले शौचालय या देवालय की चर्चा कर रहे हो. जो समुदाय पूरे देश के शौचालयों को साफ करता है और अभी भी देवालयों के बाहर है, उसके बारे में चर्चा करने में आपको शर्म आती है.

Tuesday, October 22, 2013

मैं भंगी हूं



 "कुछ लोगों ने कायरता और अज्ञानतावश कुछ कवियों, साधुओं तथा भक्तों को मेरा धर्मगुरु बनाकर मेरे सिर पर बिठा दियाहै. देश के एक भाग में कुछ लोगों ने वाल्मीकि को मेरा धर्मगुरु कहा, कुछ ने सुपच सुदर्शन को अपना धर्मगुरु कहना शुरु लिया है. वे उनके नाम पर जयंतियां मनाते है, जलसे-जुलूस निकालते है. परंतु मैं समझता हूं, उसमें राजनीति, अज्ञानता और कायरता के सिवा कुछ नहीं. वाल्मीकि भंगी नहीं था, चांडाल भी नहीं था. शुद्र या अतिशुद्र भी नहीं था. उसका सबसे महान कार्य था रामाणय तथा ब्राह्मणीदर्शन की प्रसिद्ध पुस्तक योगवशिष्ठ की रचना करना."

"रामायण इतिहास नहीं, काल्पनिक कहानी है. राम एक क्षत्री राजा था.... वर्णव्यवस्था का संरक्षक, आर्य सभ्यता को प्रोत्साहन देने वाला. ब्राह्मण धर्म का प्रचार किया.... यह पुस्तक जातिवाद और वर्ण व्यवस्था को आदर्श बनाती है. इसी की शिक्षा में भारत की गुलामी तथा भारतीय समाज के पतन की बूनियादें रखी गई है."

"रही वाल्मीकि के कोमल ह्रदय आदि कवि होने की बात. तो क्या सचमुच वह उतने कोमल ह्रदय के थे कि एक पक्षी का दु:ख उनसे देखा ना गया. परंतु उनकी ह्रदय की कोमलता उस समय कहां गई थी जब शंबूक का वध हूआ था...."

पेइज – 102, मैं भंगी हूं. लेखक भगवानदास. प्राप्ति स्थान - गौतम बुक सेन्टर, सी-263-ए, चन्दन सदन, हरदेवपुरी, शाहदरा, दिल्ली – 110093.

Thursday, October 10, 2013

दिपीका पदुकोण और दलित लडकी



संजय लीला भणसाली की फिल्म ‘रामलीला’ से गुजरात के राजपूत और रबारी समुदाय नाराज है. कुछ लोग गुजरात के अहमदाबाद एरपोर्ट पर दिपीका पदुकोण का विरोध करने के लिए कल नारेबाजी करने लगे. पुलीस ने उन्हे बहुत पीटा ऐसा कहते हुए कि यह दिपीका है, तुम्हारे गांव की कोई दलित लडकी नहीं है.

Tuesday, October 8, 2013

मोदी रजनीकांत से नाराज क्यों है?



अभी गुजरात विधानसभा का सत्र गांधीनगर में चल रहा है. वहां रजनीकांत ने अंग्रेजी में सभागृह को संबोधित किया. रजनीकांत यानी तमिल सुपरस्टार रजनीकांत नहीं, बल्कि वह रजनीकांत पटेल जो आइएएस अधिकारी थे. जिन्हो ने मोदी के गरीबमेला को सफल बनाया. मोदी ने उन पर महेरबान होकर अहमदाबाद के असारवा क्षेत्र से चुनाव लडाया, ऐसा वचन देकर कि जीतोगे तो तुम्हे मंत्री बनाउंगा. 

अब रजनीकांत धारासभ्य तो हो गए, लेकिन मोदी उन्हे मंत्री नहीं बनाते. इस लिए रजनीकांत पटेल ने मोदी को इम्प्रेस करने के लिए अंग्रेजी में भाषण दिया. मोदी ने रजनीकांत को क्यों मंत्री नहीं बनाया उसका कारण बताते हुए टाइम्स ऑफ इन्डीया लिखता है कि रजनीकांत सिर्फ 35,000 के मार्जिन से जीते थे. रजनीकांत को दलितों के बहुत कम वोट मीले, इससे मोदी नाराज है. 

जिस क्षेत्र में दलितों के पचास हजार मतदाता है, ऐसे क्षेत्र में बीजेपी के उम्मीदवार को, वह भी नरेन्द्र मोदी के पढेलिखे तोते को, दलित समाज वोट नहीं देता तो इसमें नाराज होने की क्या बात है? बेचारे टाइम्स ऑफ इन्डीया के रीपोर्टर को पता नहीं है कि यह तो बीजेपी तथा मोदी के लिए वाकइ में खुश होने की बात है. यही परिस्थिति का निर्माण करने के लिए तो पूज्य बापु ने यरवडा जेल में आमरणांत उपवास किए थे. दलितों की मर्जी के खिलाफ उन पर थोपा गया उम्मीदवार सवर्ण हिन्दु प्रजा के मतों से चुना जायेगा. यही सिद्धांत पर तो टीका है बीजेपी का रामराज्य!  

Monday, September 9, 2013

सिर्फ 1000 रूपये में



सिर्फ 1000 रूपये में अपनी बहेन-बेटियों की इज्जत की रक्षा किजीए. बस एक मोबाइल खरीद लिजीए और भगवान से सीधा कोन्टेक्ट किजीए. किसी आसाराम को बीच में मत रखिए.