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Friday, January 25, 2013

अमृत को जरूर याद करना



इस 31 जनवरी, 2013 अमृत कालीदास बोरीचा की मृत्यु तिथि है. आज से 32 साल पहले 1981 के इसी दिन अमृत के सीने में पुलीस की गोली लगी थी और सिर्फ 17 साल की उम्र में अमृत की मृत्यु हूई थी. मैं अहमदाबाद के राजपुर क्षेत्र के अमृत को आज इस लिए याद कर रहा हुं कि वह आरक्षण-विरोधी आंदोलन के दौरान मारा गया था. अगर आप आरक्षण का फायदा लेकर आज बीस से पचास हजार की तनख्वाह लेते हैं, तो 31 जनवरी के दिन अमृत को जरूर याद करना.  


Thursday, January 24, 2013

302 में जमानत, 307 में जमानत नहीं


जिस में तीन युवाओं की पुलीस ने निर्मम हत्या की थी उस थानगढ केस में अभी तक सुरेश गोगीया को सेक्शन 307 में जमानत नहीं मिल रही और सामतेर केस में भीमाभाई चौहाण की हत्या करनेवालों को सेक्शन 302 में गुजरात हाइकोर्ट ने जमानत दे दी है. 

नायब पुलिस अधिक्षक (लींबडी), सी आर कोटड द्वारा रखी गई चार्जशीट में एक सौ एक पुलिसकर्मी को वीटनेस बताया गया है. और चौदह दलितों को अपराधी दिखाया है, जिसमें मरनेवाले दो युवा प्रकाश और मेहुल भी है. सुरेश गोगिया के खिलाफ सेक्शन 307, 395, 397, 120 बी, 147, 148, 149, 332, 337, 427, 504, 511 तथा जी पी एक्ट सेक्शन 135 तथा डेमेज टु पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट सेक्शन 4, 5 के तहत गंभीर आरोप लगाये गये है. ये सारे आरोप उस घटना संबंधित है, जिसके अगले दिन किलर पीएसआई जाडेजा ने बिना वजह एक दलित युवान को मौत के घाट उतार दिया था. जाडेजा के खिलाफ 302 सेक्शन लगाई गई है, अभी तक उसकी गिरफ्तारी करने की पुलीस तंत्र की कोई इच्छा नहीं है, जाडेजा अभी भी गुजरात में ही आराम से इस तरह से दिन गुजार रहा है, मानो कोई लंबी छुट्टी पर हो. 

इसी दौरान ता. 19-6-2012 को सामतेर में भीमाभाई चौहाण पर जानलेवा हमला करके मौत के घाट उतारनेवाले तीन लोगों को उना की सेशन्स कोर्ट ने जमानत दे दी और उस जमानत को गुजरात हाइकोर्ट ने भी मंजुरी की महोर लगा दी. आप कल्पना किजीए, किसी गांव में दलित की हत्या करने के बाद इतनी आसानी से जमानत पर छुटनेवाले लोग, जो पुलीस के साथ मिलजुलकर दारु बेचते हैं (शायद पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप इसे ही कहते होंगे), दलित के साथ किस तरह पेश आते होंगे?  

Tuesday, January 22, 2013

जनतंत्र का मज़ाक और स्थगित गुजरात


गुजरात के नथु वाडला गांव की 1099 लोगों की आबादी में अनुसूचित जाति के 121 सदस्य है. 2001 के सेन्सस में इस गांव में दलित की आबादी शून्य दिखाई गई थी. दस साल के बाद अनुसूचित जाति के लोग मतदाता सूचि में तो दर्ज हुए, मगर 2011 की जनगणना के आंकडे प्रसिद्ध ही नहीं हुए है तो फिर दलितों को ग्राम पंचायत में प्रतिनिधित्व कैसे मिल सकता है, ऐसा मानकर गुजरात सरकार ने नथु वाडला गांव में फेब्रुआरी माह में होनेवाले पंचायत के चुनाव में एक भी सीट आरक्षित नहीं की. इसके खिलाफ गुजरात हाइकोर्ट में एक अर्जी हूई तो हाइकोर्ट ने चुनाव पर स्टे लगाया और कहा कि ऐसी चुनाव प्रक्रिया "जनतंत्र का मज़ाक" है. न जाने गुजरात में नाथु वडला जैसे कितने गांव होंगे?

Sunday, January 6, 2013

रामराज्य की शुरुआत

जब दलितों की स्मशानभूमि छीन ली जाती है, रामराज्य की शुरुआत होती ह  


गुजरात के पाटन जिल्ला के चानस्मा तहसील का गांव रूपपुर. कलेक्टरने 2003 मेंगांव की 12,468 स्क्वेर मीटर जमीन पटेलों के हरसिद्ध माता ट्रस्ट को प्रति मीटर सिर्फ एक रूपया के टोकन रेन्ट पर दे दी. इस जमीन में गांव के दलितों तथा ओबीसी समुदाय के रावलों की स्मशानभूमि भी थी. दलितों-रावलों ने इस नाइन्साफी के खिलाफ आवाज़ उठाई और गांव छोडकर पाटन की कलेक्टर कचहरी के सामने बैठ गए. उस समय की है यह तसवीर. रूपपुर गुजरात के सबसे श्रीमंत उद्योगपति करसन पटेल का गांव है.

Wednesday, January 2, 2013

माना कि शंबुक की कथा क्षेपक है, तो...


जब वह ब्राह्मण का लडका मर गया तब वह उसकी लाश लेकर राम के दरबार में आया, और रोते रोते कहने लगा, "हे राम, तुम्हारे राज्य में लोग वर्ण धर्म का पालन नहीं करते. तुम कैसे मर्यादा पुरुषोत्तम हो?" ब्राह्मण का कहने का मतलब था कि अब शुद्र ब्राह्मण के कार्य कर रहे हैं. बेचारे ब्राह्मण कहां जायेंगे? शंबुक नाम का शुद्र तपस्या कर रहा है. इससे वर्ण-व्यवस्था (प्राचीन आरक्षण-व्यवस्था?) खतरे में हैं. राम ने जंगल में जाकर शंबुक का शिरच्छेद कर दिया. गांधीजी जैसे मानवतावादी, हिन्दुत्ववादियों ने कहा शंबुक की कहानी क्षेपक है. क्षेपक का अर्थ है, बाद में डाला गया. अगर शंबुक की कहानी क्षेपक है तो भी इससे इतना तो जाहिर होता ही है कि इस देश में तथाकथित धर्मग्रंथो को कुछ नीकम्मे, स्वार्थी, घटिया लोगों ने उनके स्वार्थ के लिए बदल दिया है. क्या बायबल या कुरान के साथ ऐसा हुआ है?