Total Pageviews

Friday, August 23, 2013

संसारी और संत



संसारी लोग दुख का अंत खोजते हैं, संत लोग दुख कारण खोजतें हैं. अहमदाबाद म्युनिसिपल कोर्पोरेशन की बस के पीछे यह वाक्य लिखा है. भारत के एक अरब लोग दुख का अंत खोजते हैं. कुछ संतो ने इस दुख का कारण खोज लिया है – कोंग्रेस. आप को अगर ऐसे संत रास्ते में मीले तो उन का थुंक अवश्य चाटना, क्योंकि उसमें भी स्वयं गंगाजी का निवास है.

Saturday, August 10, 2013

शौच का अधिकार



चार घंटे पहले बुंदेलखंड क्षेत्र के चित्रकुट जिले में शौच के लिए खेत में गई बहु पर ससुर बलात्कार कर भाग गया. जौनपुर में कल रात नेवढिया क्षेत्र के पसियाहीं गांव में एक छात्रा के साथ तीन युवकों ने सामूहिक बलात्कार किया पुलिस के अनुसार कक्षा आठ की छात्रा कल रात अपने घर से शौच के लिए बाहर निकली थी कि पड़ोसी सादुल्लापुर गांव के तीन युवकों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया छह दिन पहले इसी राज्य के प्रतापगढ क्षेत्र के सांगीपुर में शौच के लिए निकली किशोरी से छेडछाड की गई. यह तीनों वारदातें उत्तरप्रदेश की है.

दूसरी तरफ, बिहार के भोजपुर जिले के सहार थाना क्षेत्र के बेऊर गांव की बच्ची महलीपट्टी गांव स्थित उर्स मेले में अपनी मां के साथ घुमने आयी थी पुलिस के अनुसार 22 जुलाई की देर रात बच्ची शौच के लिए गयी थी तभी तीन लोग उसे बहला फुसलाकर बैदराबाद स्थित शराब की भट्टी पर ले गये और उसके साथ बलात्कार किया 14 मार्च, 2013 को हिमाचल प्रदेश के उना जिले के एक गांव की एक नाबालिग छात्रा जब शौच करने के लिए जा रही थी तो रास्ते में उसके साथ जबरदस्ती दुराचार किया गया था. पीड़िता द्वारा शोर मचाने पर उसके परिजन भी पहुंच गए उसने अपने परिजनों को आप बीती सुनाई.

इन में से किसी भी पीड़िता के लिए देश की पाटनगरी में किसी ने केन्डल नहीं जलाई. इस बात का तो हमें तनीक भी अफसोस नहीं है. अफसोस इस बात का ही है कि इस देश की लडकियां आज भी शौच जैसी कुदरती क्रिया भी बेफिक्र नहीं कर सकती. सोचता हुं जब तक उनके लिए घर के पास टोइलेट बन ना सके तब तक सभी सांसदों को टट्टी करने की मना फरमाई जाय. या फिर एक और अधिकार की प्रतिक्षा करे. Right to loo! शौच का अधिकार.

Tuesday, August 6, 2013

सीतमनामा - गुजरात



1. मोरबी में दलित युवान लाभु सवजी पर जानलेवा हमला. अपराधी दरबार को पुलीस का रक्षण. लाभु सवजी से बात करें. उनका मोबाइल नंबर है 9904712241.

2. तलाजा के दाथा गांव में दलित युवान द्वारा की गई एफआईआर तथा पुलीस प्रोटेक्शन के बावजुद उस पर दरबारों का हमला. 

3. कच्छ जीला के अबडासा तेहसील के मोथल्ला गांव में दरबारों का दलितों पर हमला.
4. महेसाणा जीले के चाणस्मा तेहसील के कडासना गांव में दलित महिला सरपंच के खिलाफ अनुचित कारवाई करके उसे सस्पेन्ड करने की साजिश. कडासना तथाकथित समरस गांव है.

5. मोरबी की शक्ति सोसायटी में रहनेवाले दलित युवान परसोत्तम बचुभाई बारोट की छ लोगों ने हत्या की.

6. आणंद जीले के पेटलाद तेहसील के सीमरद गांव में आंगनवाडी के दलित महिला कर्मी की इज्जत लूंटने का सरपंच द्वारा प्रयास. महिला कर्मी ने डीएसपी तथा मंत्री रमन वोरा को अर्जी भेजी. शासन का मौन. दलित दंपति के आत्मविलोपन के प्रयास पश्चात फरियाद दाखिल हुई.

Friday, August 2, 2013

सर्व शिक्षा अभियान के नाम पर मची है लूंट

पीछले छह महिने से गुजरात सरकार के सर्व शिक्षा अभियान की वेबसाइट से हमारी टीम ने जो भी डेटा निकाला उसका पृथक्करण करने के बाद कुछ नतीज़े सामने आए:

सर्व शिक्षा अभियान दलित, आदिवासी, मुसलमान, पीछडी जातियों के ड्रोप आउट बच्चों कों फिर से स्कुल में दाखिल करने की योजना है.

इस स्कीम के लिए सरकार अरबों रूपया खर्च करती है. जैसे कि गुजरात की 2012-13 की योजना 13 अरब की हैं. 

इस स्कीम में 65 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र सरकार देती है.

गुजरात में अकेले अहमदाबाद में 27,000 से ज्यादा छात्र फर्जी है. (और ऐसा सिर्फ हम नहीं कहते, अहमदाबाद म्युनिसिपल स्कुल बोर्ड का चेरमेन खुद कहता है.)

हमने यह भी देखा कि न सिर्फ छात्र फर्जी है, अभियान के अतर्गत खुले स्पेशियल ट्रेनींग प्रोग्राम के केन्द्र भी फर्जी है. अकेले अहमदाबाद में ऐसे केन्द्रों की संख्या 212 (36.61 फीसदी) है.

इस ड्रोप आउट बच्चों को पढ़ानेवाले बालमित्रों की नियुक्ति के लिए कोई तरह का इन्टर्व्यू नहीं लिया जाता. वास्तव में यह बीजेपी की स्थानिक कार्यकर्ताओं का भरणपोषण करने की मुहिम है. इन बालमित्रों को मालुम भी नहीं होता कि इन के पास कितने ड्रोपआउट बच्चें हैं.

हम ऐसा मानकर चले थे कि ड्रोपआउट बच्चों कि लिस्ट का इस्तेमाल दूसरे साल भी होगा. इसलिए हमने अहमदाबाद और कुछ जीलों की सूचियों की प्रिन्टआउट्स निकाल ली थी. अब हमने देखा कि अगले साल की लिस्ट कुछ मामुली परिवर्तनों के साथ इस साल भी इस्तेमाल की गई हैं.

हमने गांधीनगर की कचहरी को हमारा रीपोर्ट भेजा. उन्हों ने सात दिन में रीपोर्ट देने के लिए अहमदाबाद के शासनाधिकारी को पत्र भेजा. लेकिन अब तक वह रीपोर्ट हमें दिया किया गया नहीं है.

ड्रोपआउट सरवे फार्म में जानबूझकर बच्चों का ड्रोपआउट वर्ष, माह, कक्षा की जानकारी टाली जाती है, ताकि दूसरे साल इसका इस्तेमाल हो सके. 

मीडीया के कुछ वृत्तांत हमारे रीसर्च को पुष्टि दे रहे हैं. जैसे कि सात दिन तक गांधीनगर की सर्व शिक्षा अभियान की कचहरी में किताबें जलाई गई.

मेरी संवेदनशीलता



मुझे लगता है कि अत्याचारों के मामले में हम कुछ ज्यादा संवेदनशील हो गये हैं. अगर आप को किसी ने गाली दी और आप के आत्मसम्मान को झटका लगाया तो उसे वहीं पर एक चाटा मारकर बात खत्म करें. और अगर आप निजी अपमानों का घूंट पीकर पूरे समुदाय के लिए लडना चाहते हैं तो वैसा करें. मगर अपने व्यक्तिगत अपमानों के लिए पूरे गांव में ढींढोरा पीटने की क्या ज़रूरत है? हमारे लोगों में ज्यादातर लोग तो ऐसे हैं जो अपने अपमान का रोना रोते रहते हैं रातदिन, मगर पूरे समुदाय के लिए लडना नहीं चाहते. ऐसे लोगों के लिए हमारे दिल में तनीक भी सहानूभूति नहीं होनी चाहिए.