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Friday, January 29, 2016

संसद अध्यक्षा सुमित्रा महाजन को खुला पत्र



प्यारी सुमित्रादीदी,
गुजरात में पैंतीस साल बाद नए तरीके से आरक्षण विरोधी आंदोलन हुआ उसके बाद कई लोग गुजरात में आकर आरक्षण के बारे में उल्टासीधा बोलते रहते हैं. वैसे तो गुजरात के मीडीया की यह फितरत है कि वह वही सूनता है जो वह सूनना चाहता है.
कुछ दिन पहले गुजरात हाइकोर्ट के जज श्रीमान पारडीवाला साहब ने कहा कि देश में आरक्षण और भ्रष्टाचार यह दोनों सबसे बडी बूरी चीजें  हैं.  कांग्रेस और बीजेपी के दलित सांसदो ने जज के खिलाफ महाअभियोग की कारवाई शूरु की तो जजसाहब ने अपना निवेदन वापस खींच लिया. शायद आपने और आप के संघ परीवार ने दलित सांसदों को चुनौती दी है कि अब मेरे खिलाफ महाअभियोग करने की हिंमत है तो किजिए.
मुझे मालुम नहीं कि दलित सांसद आप के बारे में क्या सोचते हैं. मगर मुझे एक बात मालुम है कि आप को आरक्षण के इतिहास के बारे में कुछ पता नहीं है. आप को हमारे देश का संविधान और उसे तैयार करने के लिए संविधान सभा में जो बहस हूई  उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. आप इस मामले में बिलकुल अनपढ और गंवार है.
आप ने गुजरात में कहा कि आरक्षण की समय मर्यादा सिर्फ दस साल की थी और बाबासाहब आंबेडकर ने पुनर्विचार करने के लिए कहा था. आप को मालुम नहीं है कि यह समयमर्यादा राजकीय आरक्षण के लिए थी, शैक्षणिक एवम् सरकारी नौकरियों में कोई मर्यादा नहीं है. और रही बात पुनर्विचार की, तो इस मामले में बाबासाहब ने कहा था कि पुनर्विचार दलित समाज करेगा. सुमीत्रा महाजन को या कुंभमेले में घूमते नागा बावाओं की फौज को रीथीन्कींग करने के लिए बाबासाहब ने नहीं कहा था. आप की जानकारी के लिए मैंने यहां वह बात शब्दश रखी है. डो. बाबासाहब आंबेडकर के राइटींग्स एन्ड स्पीचीझ के वोल्यूम नंबर 13 के पेइज नंबर 852 पे यह बात रखी गई है. आप जैसे गंवार और अनपढ लोगों के लिए हमने यह कष्ट उठाया है.शुक्रिया.

आप का सदैव
राजेश सोलंकी

5 comments:

  1. बहुतत अच्छे राजुभाई शुभकामनाएं

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  2. आप कच्छ के राजु सोलंकी है? क्या आप गुजरात युनिवर्सिटी होस्टेल में 1988-90 में थे? अगर हां, तो 9998213883 पर कोल किजिये।

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